Jean Piaget Theory in hindi( जीन पियाजे सिध्दान्त)
: जीन पियाजे का
सिध्दान्त :
जन्म : 1896 ई० स्थान : स्विट्जरलैंड
पुस्तक : “द लैंग्वेज ऑफ़ थॉट ऑफ द चाइल्ड”
** संज्ञानात्मक विकास का सिध्दान्त **
उपनाम
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विकासात्मक विकास का सिध्दान्त
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ज्ञानात्मक विकास का सिध्दान्त
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अवस्था का सिध्दान्त
प्रयोग : स्वम के बच्चे पर
: क्या कहता है सिध्दान्त :
“इस सिध्दान्त में इन्होने बताया की बच्चे का विकास उसके अवस्था (उम्र) के आनुसार होती है”
संज्ञानात्मक विकास के 4
चरण है
1.
संवेदी गामक अवस्था / इन्द्रिजनित अवस्था ( जन्म से 2 वर्ष )
2.
पूर्व संक्रियात्मक अवस्था ( 2 से 7 वर्ष )
3.
मूर्त / स्थूल संक्रियात्मक अवस्था ( 7 से 11 वर्ष )
4.
औपचारिक / अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था ( 11 से 15 वर्ष )
·
संवेदी गामक अवस्था ( जन्म से 2 वर्ष ) :
इस अवस्था में बालक अपने सरे काम इन्द्रियों
द्वारा करता है –
उदहारण: आँख , नाक , कान , गला , त्वचा
नोट: इस उम्र में बच्चा प्रकाश से सचेत होता है
·
पूर्व संक्रियात्मक अवस्था ( 2 से 7 वर्ष )
इस अवस्था में बच्चा पडोसी बच्चो के साथ खेलना
शुरू करता है
बालक चित्र बनाना शुरू कर देता है
शब्दों एवं प्रतीकों का प्रयोग करने लगता है
सही अनुपात का ज्ञान नही होता
सही प्रकार के चित्र नही बना पता है
रंग पहचानने लगता है
सजीवता के गुण देखने को मिलते है- Ex गुडिया
गुड्डे के खेल से
·
स्थूल / मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ( 7 से 11
वर्ष )
तार्किक चिंतन करना शुरू करता है*
अपने सामने उपस्थित दो वस्तुओ के बीच तुलना
करना, अंतर करना , समानता व असमानता करना सीख जाता है
·
औपचारिक / अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था ( 11 से 15 वर्ष )
इस अवस्था में मानसिक विकास पूरा हो जाता है
सम्स्या का स्वम हल करने की अवस्था
अंको का प्रयोग करता है
कार्य में अंतर समझता है
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